सुनैना अवस्थी की बाल कविताएँ
रविवार, 26 जनवरी 2020
बाल किलकारी, दिसम्बर 2019
गुरुवार, 16 जून 2011
मेरे प्यारे पापा जी
शिशुगीत :सुनैना अवस्थी
चित्र में आदित्य अपने पापा के
साथ
मेरे प्यारे पापा जी ,
भोले-भाले पापा जी .
रोज सबेरे जाते जी
देर शाम को आते जी .
मीठी चिज्जी लाते जी
हम सब मिलकर खाते जी .
अच्छी बात बताते जी
अच्छी राह दिखाते जी .
सोमवार, 30 मई 2011
नील गगन के प्यारे तारे .
शिशुगीत : सुनैना अवस्थी
नील गगन के प्यारे तारे .
लगते कितने न्यारे तारे .
चम चम-चम चम चमक रहे हैं,
जुगनू जैसे दमक रहे हैं .
चंदा के संग नभ में छाए ,
ये चंदा के राजदुलारे .
चंदा मामा के ये बच्चे ,
सूरज दादा से ये डरते .
जब भी आते सूरज दादा ,
आसमान में छिपते तारे .
गुरुवार, 26 मई 2011
बंद करो चूहे खाना
शिशुगीत
सुनैना अवस्थी
चूहा बोला - ' चीं चीं चीं ,
सुनिए बिल्ली मौसी जी ,
रोग प्लेग का फैला है ,
बड़े- बड़ों ने झेला है ,
बंद करो चूहे खाना ,
पड़ सकता है पछताना .
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चित्र साहित्य संगम , इलाहबाद से प्रकाशित नागेश पांडेय ' संजय' की पुस्तक ''भाग गए चूहे'' से साभार .
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