गुरुवार, 16 जून 2011

मेरे प्यारे पापा जी


शिशुगीत :सुनैना अवस्थी 
चित्र में आदित्य अपने पापा के साथ
 मेरे प्यारे पापा जी ,
भोले-भाले पापा जी .
रोज सबेरे जाते जी 
देर शाम को आते जी .
मीठी चिज्जी लाते जी 
हम सब मिलकर खाते जी .
अच्छी बात बताते जी  
अच्छी राह दिखाते जी .

सोमवार, 30 मई 2011

नील गगन के प्यारे तारे .

शिशुगीत : सुनैना अवस्थी 
नील गगन  के  प्यारे  तारे  . 
लगते  कितने  न्यारे तारे . 
चम चम-चम  चम चमक रहे हैं,
 जुगनू  जैसे दमक रहे हैं . 
चंदा के संग नभ में छाए , 
ये चंदा के राजदुलारे . 
चंदा मामा के ये बच्चे , 
सूरज दादा से ये डरते . 
जब भी आते सूरज दादा , 
आसमान में छिपते तारे . 

गुरुवार, 26 मई 2011

बंद करो चूहे खाना






शिशुगीत 
 सुनैना अवस्थी
चूहा बोला - ' चीं चीं चीं ,
सुनिए बिल्ली मौसी जी ,
रोग प्लेग का फैला है ,
बड़े- बड़ों ने झेला है ,
बंद करो चूहे खाना ,
पड़ सकता है पछताना .
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चित्र साहित्य संगम , इलाहबाद से प्रकाशित नागेश पांडेय ' संजय' की पुस्तक ''भाग गए चूहे'' से साभार .